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समास किसे कहते है,समास के भेद/प्रकार, उदाहरण, समास विग्रह | Samas in Hindi

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Hindi Vyakaran : Samas

    समास किसे कहते है | समास-विग्रह

    ✍ समास की परिभाषा ➡️  
    समास शब्द दो सभद 'सम्' (संक्षिप्त) एवं 'आस' (शब्द) के मेल  से बना है। 'समास' शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है - 'छोटा-रूप' | अतः जब दो या दो से अधिक शब्द (पद) अपने बीच की विभक्तियों का लोप कर जो छोटा रूप बनाते है, उसे समास, सामासिक शब्द या समस्त पद कहते है। जैसे 'ईश्वर से प्रदत' शब्दों में से 'से' विभक्ति का लोप करने पर नया शब्द बना 'ईश्वर-प्रदत', जो एक सामासिक शब्द है।

    ✍ समास-विग्रह की परिभाषा ➡️
    किसी सामासिक शब्द को उसके विभिन्न पदों एवं विभक्ति सहित पृथक करने की क्रिया को ही समास-विग्रह कहते है।  
    जैसे - 'चौराहा' का संधि विग्रह - ' चार राहों का समूह' |

    ✍ समास-विग्रह के उदाहरण ➡️
    •  यथाशक्ति  -  शक्ति के अनुसार। 
    • यथेच्छा - इच्छा के अनुसार। 
    • तुलसीकृत - तुलसी द्वारा रचित। 
    • वनवास - वन में वास। 
    ▪️ समस्त-पद/सामासिक पद : समास के नियमों से बना शब्द समस्त-पद या सामासिक शब्द कहलाता है। 

    समास के प्रकार | समास के भेद 

    समास मुख्यत: छः प्रकार के होते है, जिनके नाम निम्नानुसार है - 
    1. अव्ययीभाव समास (Adverbial Compound)
    2. तत्पुरुष समास (Determinative Compound)
    3. कर्मधारय समास (Appositional Compound)
    4. द्वंद्व समास (Copulative Compound)
    5. द्विगु समास (Numeral Compound)
    6. बहुव्रीहि समास (Attributive Compound)
    ✍ पदों की प्रधानता के आधार पर समास का वर्गीकरण ➡️
    • पूर्वपद प्रधान - अव्ययीभाव समास 
    • उत्तरपद प्रधान - तत्पुरुष, कर्मधारय व द्विगु समास 
    • दोनों पद प्रधान - द्वंद्व समास 
    • दोनों पद अप्रधान - बहुव्रीहि समास ( इस समास में तीसरा पद प्रधान होता है )

    अव्ययीभाव समास की परिभाषा | अव्ययीभाव समास के उदाहरण  

    ✍ अव्ययीभाव समास किसे कहते है ?
    अव्ययीभाव समास में प्राय: पहला पद (पूर्वपद) अव्यय तथा  प्रधान होता है।  इस समास का पहला पद या पूरा पद अव्यय होता है ( वे शब्द जो लिंग, वचन, काल, कारक  के अनुसार नहीं बदलते, उन्हें अव्यय कहते है )
    यदि शब्द की पुनरावृति हो और दोनों शब्द मिलकर हो,वहां भी अव्ययीभाव समास होता है। संस्कृत के उपसर्ग युक्त पद भी अव्ययीभाव समास होते है। 
    ▪️अव्ययीभाव समास की पहचान - यदि समस्त पद के आरम्भ में भर, निर्, प्रति, यथा, बे, आ, ब, उप, यावत्, अधि, अनु आदि। 

    ✍ अव्ययीभाव समास के उदाहरण ➡️
    • यथाविधि  = विधि के अनुसार। 
    • यथाशक्ति =  शक्ति के अनुसार। 
    • यथावसर = अवसर के अनुसार। 
    • प्रतिदिन  = प्रत्येक दिन। दिन-दिन। हर दिन। 
    • यथाशीघ्र = जितना शीघ्र हो। 
    • प्रत्येक = हर एक।  एक-एक।  प्रति एक। 
    • हाथों- हाथ = हाथ ही हाथ में। 
    • यथागति = गति के अनुसार। 
    • साफ-साफ = बिलकुल साफ। 
    • हर-घड़ी = घड़ी-घड़ी। 
    • आजीवन = जीवन भर। 
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    तत्पुरुष समास की परिभाषा | तत्पुरुष समास के प्रकार 

    ✍ तत्पुरुष समास किसे कहते है ?
    जिस समास में बाद का अथवा उत्तरपद (दूसरा पद) प्रधान होता है तथा दोनों पदों के बीच का कारक चिन्ह लुप्त हो जाता है , उसे तत्पुरुष समास कहते है। 

    ✍ तत्पुरुष समास के उदाहरण ➡️
    राजा का कुमार = राजकुमार। 
    धर्म का ग्रंथ = धर्मग्रंथ। 
    रचना को करने वाला = रचनाकार। 
    ✍ तत्पुरुष समास के भेद ➡️
    तत्पुरुष समास के मुख्य भेद निम्न है -

    ❶ कर्म तत्पुरुष (द्वितीय तत्पुरुष ) ➡️  
    इसमें कर्म कारक की विभक्ति 'को' का लोप हो जाता है। 
    कर्म तत्पुरुष के उदाहरण ➡️                
    • गगनचुम्बी = गगन को चूमने वाला 
    • यशप्राप्त = यश को प्राप्त 
    • चिड़ीमार = चिड़ियों को मारने वाला। 
    • कृष्णार्पण = कृष्ण को अर्पण 
    • प्राप्तोदक = उदक को प्राप्त 
    • जेब कतरा  = जेब को कतरने वाला 
    ❷ करण तत्पुरुष (तृतीया तत्पुरुष) ➡️
    इसमें करण कारक की विभक्ति 'से' एवं 'के द्वारा' का लोप हो जाता है। 
    करण तत्पुरुष के उदाहरण ➡️
    • रेखांकित = रेखा से अंकित 
    • करुणापूर्ण = करुणा से पूर्ण 
    • सुररचित = सूर द्वारा रचित 
    • मनचाहा = मन से चाहा
    • ईश्वर-प्रदत्त = ईश्वर से प्रदत 
    • दयार्द्र = दया से आर्द्र 
    ❸सम्प्रदान तत्पुरुष (चतुर्थी तत्पुरुष) ➡️
    इसमें सम्प्रदान कारक की विभक्ति 'के लिए' लुप्त हो जाती है। 
    सम्प्रदान तत्पुरुष के उदाहरण ➡️
    • विद्यालय = विद्या के लिए आलय 
    • बलि-पशु = बलि के लिए पशु 
    • रसोईघर = रसोई के लिए घर 
    • सत्याग्रह = सत्य के लिए आग्रह 
    • गुरु दक्षिणा = गुरु के लिए दक्षिणा 
    • हथकड़ी = हाथ के लिए कड़ी 
    • प्रयोगशाला = प्रयोग के लिए शाला 
    • डाकगाड़ी = डाक के लिए गाड़ी 
    ❹अपादान तत्पुरुष (पंचमी तत्पुरुष)
    इसमें अपादान कारक की विभक्ति 'से' (अलग होने का भाव ) लुप्त हो जाती है। 
    अपादान तत्पुरुष के उदाहरण ➡️
    • गुणहीन = गुण से हीन 
    • धनहीन = धन से हीन 
    • जलहीन = जल से हीन 
    • ऋणमुक्त = ऋण से मुक्त 
    • देशनिकाला = देश से निकाला 
    ❺सम्बन्ध तत्पुरुष (षष्ठी तत्पुरुष)
    इसमें संबंध कारक की विभक्ति 'का', 'के' तथा 'की' लुप्त हो जाती है। 
    सम्बन्ध तत्पुरुष के उदाहरण ➡️
    • राजपुत्र = राजा का पुत्र 
    • राजकुमार = राजा का कुमार 
    • विद्यासागर = विद्या का सागर 
    • देशरक्षा = देश की रक्षा 
    • राजाज्ञा = राजा की आज्ञा 
    • शिवालय = शिव का आलय 
    ❻अधिकरण तत्पुरुष (सप्तमी तत्पुरुष) ➡️
    इसमें अधिकरण कारक की विभक्ति 'में', 'पर' लुप्त हो जाती है। 
    अधिकरण तत्पुरुष के उदाहरण ➡️
    • लोकप्रिय = लोक में प्रिय 
    • आनंदमग्न = आनंद में मग्न 
    • शोकमग्न = शोक में मग्न
    • गृहप्रवेश = गृह में प्रवेश 
    • धर्मवीर = धर्म में वीर 

    कर्मधारय समास की परिभाषा | कर्मधारय समास के उदाहरण 

    ✍कर्मधारय समास  किसे कहते है ? 
    जिस समस्त पद का उत्तरपद प्रधान हो तथा पूर्वपद व उत्तरपद में उपमान-उपमेय अथवा विशेषण-विशेष्य सम्बन्ध हो, कर्मधारय समास कहलाते है। कर्मधारय समास में एक पद विशेषण होता है तो दूसरा पद विशेष्य होता है। 

    ▪️कर्मधारय समास की पहचान - विग्रह करने पर दोनों पद के मध्य में 'हैं जो', 'रूपी' तथा 'के समान' आदि आते है। 
    कर्मधारय समास के उदाहरण ➡️
    • परमानंद = परम है जो आनंद 
    • चरणकमल = कमल के समान चरण 
    • अधमरा = आधा है जो मरा 
    • कनकलता = कनक की-सी लता 
    • महादेव = महान है जो देव 
    • चन्द्रमुख = चंद्र के समान मुख 
    • महापुरुष = महान है जो पुरुष 
    • परमात्मा = परम है जो आत्मा 
    • नीलकंठ = नील जैसा कंठ 

    द्वंद्व समास की परिभाषा | द्वंद्व समास के उदाहरण 

    ✍ द्वंद्व समास  किसे कहते है ?
    जिस सामासिक पद के दोनों पद प्रधान तथा विग्रह करने पर 'और', 'अथवा', 'या', 'एवं' लगता है , वह समास द्वंद्व समास कहलाता हैं। 

    ▪️द्वंद्व समास की पहचान - दोनों पदों के बीच में प्राय: योजक चिह्न (-) का प्रयोग किया जाता है। 
    द्वंद्व समास के उदाहरण ➡️
    • राजा-प्रजा = राजा और प्रजा 
    • छल-कपट = छल और कपट 
    • ऊंच-नीच = ऊँच या  नीच 
    • नदी-नाले = नदी और नाले 
    • नर-नारी = नर और नारी
    • आगे-पीछे = आगे और पीछे 

    द्विगु समास की परिभाषा| द्विगु समास के उदाहरण 

    ✍ द्विगु समास किसे कहते है ?
    जिस सामासिक पद का पूर्वपद संख्यावाचक विशेषण  हो,वह द्विगु समास कहलाता है।  इसमें समूह या समाहार का ज्ञान होता है। 
    द्विगु समास के उदाहरण ➡️
    • त्रिकोण = तीनों कोनो का समाहार 
    • सप्तसिंधु = सात सिन्धुओं का समूह 
    • तिरंगा = तीन रंगों का समूह 
    • दोपहर = दो पहरों का समूह 
    • पंचमढ़ी = पांच मढ़ियों का समूह 

    बहुव्रीहि समास की परिभाषा | बहुव्रीहि समास के उदाहरण 

    ✍ बहुव्रीहि समास किसे कहते है ?
    बहुव्रीहि समास में कोई भी पद प्रधान नहीं  होता है। इसमें प्रयुक्त पदों के सामान्य अर्थ की अपेक्षा अन्य अर्थ की प्रधानता रहती है। इसका समास विग्रह करने पर 'वाला , है,  जो,जिसका, जिसकी, जिसके, वह' आदि आते है।  
    बहुव्रीहि समास के उदाहरण ➡️
    • घनश्याम = घन के समान श्याम है जो (कृष्ण)
    • लम्बोदर = लम्बा है उदर जिसका (गणेश)
    • महावीर = महान वीर है जो (हनुमान)
    • विषधर = विष को धारण करने वाला ( सर्प)
    • मृगेंद्र = मृगों का इंद्र (सिंह)
    • पंकज = पंक में पैदा हो जो (कमल)
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