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- कोशिका - शरीर की संरचनात्मक क्रियात्मक व आनुवंशिक इकाई।
- आहार नाल - मुख से मलद्वार तक का नलिकाकार भाग।
- पाचन - दीर्घ, जटिल व अघुलनशील खाद्य अणुओं को पाचक एंजाइम की मदद से लघु, सरल व घुलनशील अवशोषण योग्य अणुओं में बदलने की प्रक्रिया।
- पाचनतंत्र - पाचन नाल, पाचक ग्रन्थियों के साथ मिलकर पाचनतंत्र बनाती है।
- जिह्वा फ्रेनुलम - वह रचना जिसके द्वारा जिह्वा मुख गुहा के आधार से जुड़ी रहती है।
- गर्तदंती - दाँतों का जबड़े की अस्थि के खाँचों (गर्तो) में स्थिर होना।
- संवरणी पेशियाँ - वाल्व समान, वर्तुल पेशियाँ जो आहारनाल में भोजन की गति का नियंत्रण करती हैं।
- घांटी ढक्कन - कार्टीलेज का फ्लैप जो भोजन को निगलते समय घांटी द्वार (glottis) को बन्द कर देता है ताकि भोजन श्वास नली में न जाये।
- एण्टीरोसाइट - आंत्र कोशिका जो अवशोषण हेतु अनुकूलित होती है।
- द्विबार दंती - जीवन में दाँतों के दो सेटों (अस्थायी दूध के व स्थायी) का पाया जाना।
- क्रमानुकुंचन - आहार नाल की भित्ति का क्रमबद्ध संकुचन व शिथिलन जिससे उसमें भोजन की गति होती है।
- यकृत पालिकाएँ - यकृत की षटकोणीय संरचनात्मक इकाई जिनमें पित्त का निर्माण होता है।
- बोलस - मुँह में चबाने के बाद लार मिला भोजन जिसे निगला जाता है।
- कृमिरूपी परिशेषिका - अंधनाल (सीकम) से जुड़ा अंगुली के आकार का अवशेषी अंग।
- श्लेष्मा - ग्रीवा कोशिकाओं (goblet cells) द्वारा स्त्रावित एक चिपचिप्ला पदार्थ
- पायसीकरण - वसा की बूंदों का पित्त द्वारा वसा की छोटी-छोटी गुलिकाओं में बदल जाना जिससे वसा का पाचन पृष्ठ सतह बढ़ने के कारण आसान हो जाता है।
- श्वसन - कोशिकाओं में ऑक्सीजन की उपस्थिति में सम्पन्न होने वाली वह जैव रासायनिक क्रिया जिसमें भोज्य पदार्थों के ऑक्सीकरण से ऊर्जा उत्पन्न होती है।
- ऑक्सिंटिक कोशिका - आमाशय की वह कोशिकाएँ जो HCl का स्राव करती हैं।
- काइम - आमाशय में पाचन के बाद बना अर्धतरल भोजन जो आँत में प्रवेश करता है।
- स्वर रज्जु - स्वर यंत्र में उपस्थित तंतु जैसी रचनाएँ जो कम्पन द्वारा ध्वनि उत्पन्न करती हैं।
- कूपिकाएँ - फेफड़ों के केवल शल्की उपकला (squamous epithelium) से बने वह भाग जहाँ गैसों का आदान-प्रदान होता है।
- पक्ष्माभ - श्वसन मार्ग की कोशिकाओं में पायी जाने वाली रोम सदृश्य रचनाएँ जो अजाने धूलकण, परागकण आदि को रोकने का कार्य करती हैं।
- अस्थि मज्जा - अस्थियों के बीच का खोखला भाग।
- प्लाज्मा - रक्त का तरल भाग।
- शल्की उपकला - चपटी पतली कोशिकाओं से बनी उपकला जिसमें पदार्थों का विसरण आसानी से हो जाता है। जैसे-कोशिकाओं की भित्ति।
- मध्य पट या डायाफ्राम - वह पेशीय पट जो वक्ष गुहा को उदर गुहा से अलग करता है।
- महाभक्षक - श्वेत रक्त कोशिका का एक रूपान्तरण जो जीवाणुओं का भक्षण करता है।
- लसिका - शरीर में पाया जाने वाला एक रंगहीन परिसंचरण द्रव जो प्लाज्मा व श्वेत रक्त कणिकाओं से बना होता है।
- प्लीहा - आमाशय के नीचे स्थित एक भाग जो प्रतिरक्षा तंत्र का भाग बनाता है और जहाँ लाल रक्त कणिकाओं का संग्रह होता है।
- प्रकुंचन - हृदय का संकुचन।
- अनुशिथिलन - हृदय की शिथिलावस्था।
- अलिंद - हृदय का ऊपरी रक्त ग्रहण करने वाला (receiving) कक्ष
- निलय - हृदय का निचला रक्त वितरण (distributing) कक्ष
- महाशिरा - शरीर की सबसे बड़ी शिरा जो रक्त को हृदय तक पहुँचाती है।
- भूरियोत्सर्ग - नाइट्रोजनी अपशिष्ट के रूप में यूरिया का उत्सर्जन।
- यूरिक अम्ल उत्सर्जी - नाइट्रोजनी अपशिष्ट के रूप में मुख्यत: यूरिक अम्ल का उत्सर्जन।
- हाइलम - वृक्क के अवतल भाग की खाँच जिसमें वृक्क शिरा, वृक्क धमनी, यूरेटर प्रवेश करती हैं।
- वृक्काणु - वृक्क की उत्सर्जन इकाई।
- दोहरा परिसंचरण - रक्त के शरीर में एक सम्पूर्ण परिभ्रमण में यह हृदय से दो बार गुजरता है, अर्थात् दोहरा परिसंचरण = फुफ्फुसीय परिसंचरण + दैहिक परिसंचरण।
- अमोनियोत्सर्ग - नाइट्रोजन अपशिष्ट के रूप में अमोनिया का उत्सर्जन।
- युग्मकजनन - वृषण अण्डाशय में अगुणित युग्मकों के निर्माण की प्रक्रिया।
- विदलन - समसूत्री कोशिका विभाजन जिसमें मात-कोशिका विभाजित होकर दो कोशिकाएँ बनाती हैं जो आपस में जुड़ी रहती हैं।
- निषेचन - नर व मादा युग्मक का संलयन जिसके फलस्वरूप युग्मनज (zygote) बनता है।
- यौवनारम्भ - बचपन के बाद की वह अवस्था जिसमें द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का विकास होता है।
- जनद - नर या मादा प्राथमिक जनन अंग; जैसे वृषण व अण्डाशय।
- धूसर द्रव्य - मस्तिष्क के कार्टेक्स में पाया जाने वाला तंत्रिकीय भाग जो तंत्रिका कोशिकाओं के कोशिका काय का बना होता है।
- श्वेत द्रव्य - मस्तिष्क का आन्तरिक मध्यांश भाग श्वेत द्रव्य का बना होता है। जिसमें तंत्रिका कोशिका के तंत्रिकाक्ष या दुमाक्ष्य पाये जाते हैं।
- कोरक - युग्मनज के विदलन से बनी गेंद की आकृति की बहुकोशिकीय भ्रूणीय अवस्था।
- संवेदी तंत्रिका - वह तंत्रिका जो उद्दीपन की सूचना को अंगों से केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र तक ले जाती है।
- प्रेरक तंत्रिका - ऐसी तंत्रिका जो केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र के आदेशों को सम्बंधित अंगों तक पहुँचाती है।
- मस्तिष्क मेरुद्रव - मस्तिष्क के आवरणों के बीच पाया जाने वाला द्रव जो इसकी आघातों से रक्षा करता है।
- सन्धि स्थल - एक तंत्रिका कोशिका के तंत्रिकाक्ष के सिरे व दूसरी कोशिका के दुमाक्ष्य के बीच सम्बंध जहाँ आवेश न्यूरोट्रांसमिटर के रूप में गति करता है।
- नलिकाविहीन - अन्तःस्रावी ग्रन्थि जिनमें कोई नलिका नहीं होती और जो अपना स्राव सीधे रक्त में प्रवाहित कर देती है।
- कार्पस कैलोसम - दोनों प्रमस्तिष्क गोलार्धो को आपस में जोड़ने वालीतंत्रिकीय पट्टी।
- प्रतिवर्ती क्रिया - किसी उद्दीपन के कारण तंत्रिका माध्यित, तंत्रिका तंत्र की अनैच्छिक स्तर पर सम्पन्न होने वाली त्वरित प्रतिक्रिया। .
- हार्मोन - अन्तःस्रावी ग्रन्थि का स्राव जो रक्त में प्रवाहित होकर लक्ष्य अंग को प्रभावित करता है।
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