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मकर संक्रांति पर निबंध : आज की इस पोस्ट में आइए जानते हैं कि मकर संक्रांति पर निबंध किस प्रकार लिखा जाता है मकर सक्रांति क्यों मनाई जाती है और कैसे मनाई जाती है भारत में हर वर्ष मकर सक्रांति किस दिन मनाई जाती है मकर सक्रांति मनाए जाने के पीछे कारण क्या है मकर सक्रांति के अलग-अलग नाम क्या है इत्यादि के बारे में स्पष्ट में विस्तार से बताया जाएगा इसलिए आप इस पोस्ट को शुरू से अंत तक जरूर पढ़ें।
मकर सक्रांति 2022
मकर सक्रांति हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है जो हर वर्ष जनवरी माह में मनाया जाता है। यह त्यौहार जनवरी माह की 14 या 15 तारीख को मनाया जाता है। मकर संक्रांति का त्योहार इस समय मनाया जाता है जब सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण कि और मकर रेखा में प्रवेश करता है। ऐसा माना जाता है कि साल के सभी त्योहारों का आगमन मकर सक्रांति के त्योहार से ही होता है। मकर सक्रांति का त्यौहार भारतवर्ष में अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। मकर सक्रांति के त्यौहार को पंजाब एवं हरियाणा राज्य में लोहड़ी, पश्चिम बंगाल में उत्तर सक्रांति, मध्यप्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में उत्तरायण या खिचड़ी, आंध्र प्रदेश केरल एवं कर्नाटक में सक्रांति तमिलनाडु में पोंगल तथा असम में बीहू इत्यादि के नामों से जाना जाता है।
मकर सक्रांति का अर्थ क्या है?
मकर सक्रांति दो शब्दों से मिलकर बना होता है। मकर का अर्थ होता है मकर राशि तथा सक्रांति का अर्थ होता है परिवर्तन। यानी कि इसका मतलब होता है सूर्य का मकर राशि में परिवर्तन। हिंदू धर्म के अनुसार मकर संक्रांति का त्यौहार शुभ अवसर पर मनाया जाता है। यह त्यौहार लोगों द्वारा बहुत ज्यादा धूमधाम तरीके से खुशियों के साथ मनाया जाता है।
मकर सक्रांति क्यों मनाई जाती है?
मकर सक्रांति मनाए जाने के पीछे बहुत से कारण है। उन सभी में एक कारण की बात करें तो पोस्ट माह में जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है तब हिंदू धर्म के लोग मकर संक्रांति का त्यौहार मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि मकर सक्रांति के दिन सूर्य भगवान अपने बेटे शनि से मिलने के लिए उनके घर जाते हैं। शनिदेव मकर राशि के स्वामी है इसलिए इस त्यौहार को मकर सक्रांति के नाम से भी जाना जाता है।
मकर संक्रांति का महत्व क्या है?
वैसे देखें तो मकर संक्रांति त्योहार मनाए जाने के बहुत से महत्व है। उत्तरायण में सूर्य का मकर राशि में परिवर्तन मकर सक्रांति मनाया जाने के पीछे एक आध्यात्मिक कारण है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा नदी में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं और आत्मा पवित्र हो जाती हैं। ऐसा भी माना जाता है कि मकर सक्रांति के दिन कुंभ मेला पर प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
मकर सक्रांति पर 10 लाइन
- मकर सक्रांति भारतवर्ष में हिंदुओं का एक पवित्र त्यौहार है जिसे लोग बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं।
- मकर सक्रांति का त्यौहार प्रतिवर्ष जनवरी माह की 14 या 15 तारीख को मनाया जाता है।
- पोस्ट माह में जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है तो उस दिन हिंदू लोगों द्वारा मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि मकर सक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं।
- मकर सक्रांति के त्यौहार के दिन लोग तिल के लड्डू बनाकर खाते हैं।
- मकर संक्रांति का त्योहार विशेष रूप से पतंगबाजी के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है। इश्तिहार के आगमन से ही लोग पतंग उड़ाना शुरू कर देते हैं।
- मकर सक्रांति के त्यौहार के दिन लोग इकट्ठा होते हैं एवं त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। इस त्यौहार के अवसर पर लोगों में आपसी भाईचारा बना रहता है।
- मकर संक्रांति के त्योहार के दिन लोग दूर-दराज से एक दूसरे को मिलने पहुंच जाते हैं।
- मकर संक्रांति का त्यौहार पूरे भारतवर्ष में दो द्वारा मनाया जाता है यह त्यौहार अलग-अलग राज्य में अलग-अलग नाम से मनाया जाता है।
- मकर संक्रांति के त्योहार के दिन गंगा स्नान करने का बहुत ही बड़ा महत्व होता है।
निष्कर्ष
निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि हर किसी के त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाना चाहिए। मकर संक्रांति का त्योहार बी भारतवर्ष में हिंदुओं द्वारा बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है जिससे लोगों में आपसी भाईचारा बना रहता है।
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