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रणथम्भौर के चौहान वंश का इतिहास - Ranthambore Ke Chauhan Ka Itihas in Hindi

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रणथम्भौर के चौहान वंश - आज की इस पोस्ट में रणथम्भौर के चौहान वंश का इतिहास पर लेख लिखा गया है। इसमें आप सभी के प्रश्न हम्मीर देव चौहान की जीवनी, हम्मीर हठ के लेखक, राजा हमीर की कथा, हम्मीर देव चौहान के पुत्र पत्नि पुत्री का नाम, झाईन दुर्ग का युद्ध, रणथम्भौर का प्रथम जल जौहर साका आदि से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी शामिल की गयी है।
रणथम्भौर के चौहान वंश का इतिहास - Ranthambore Ke Chauhan Ka Itihas in Hindi
रणथम्भौर के चौहान वंश का इतिहास

रणथम्भौर के चौहान

गोविंदराज चौहान -

  • गोविंदराज चौहान पृथ्वीराज चौहान तृतीय के पुत्र थे, जिन्होनें कुतुबुद्दीन ऐबक की सहायता से रणथम्भौर में 1194 ई. में चौहान वंश की स्थापना की।

हम्मीर देव चौहान - 

  • हम्मीर देव चौहान पिता-जैत्रसिंह(जयसिंह) तथा  माता- हीरादेवी, पत्नी-रंगदेवी व पुत्री-देवल दे थी। 
  • रणथम्भौर के चौहानों में सर्वाधिक प्रतापी व अन्तिम शासक हम्मीर देव चौहान था, जो हठ के लिए प्रसिद्ध था। हम्मीर देव चौहान के लिए कहा गया है कि "सिंह सवन सत्पुरुष वचन, कदलन फलत इक बार। तिरिया तेल, हम्मीर हठ, चढ़े न दूजी बार।'
  • हम्मीर देव चौहान ने दिग्विजय की नीति अपनाई जिसके तहत इसने 'कोटीयजन यज्ञ' (अश्वमेध यज्ञ जैसा)   का आयोजन करवाया, जिसके राज पुरोहित पंडित विश्वरूप थे।
  • कवि बीजादिव्य (बिजादित्य / विजयादित्य) हम्मीरदेव चौहान के दरबारी कवि थे।
  • झाइन का युद्ध - यह युद्ध 1291 ईस्वी में हम्मीर देव चौहान एवं जलालुद्दीन खिलजी के मध्य हुआ था। उस समय जलालुद्दीन ने रणथम्भौर दुर्ग की कुंजी (झाइन दुर्ग) पर दो बार आक्रमण किया लेकिन दोनों बार पराजय का सामना करना पड़ा। अंत: में हार के बाद जाते वक्त जलालुद्दीन ने कहा कि "मैं ऐसे 10 दुर्गों को मुसलमान के एक बाल के बराबर भी नहीं समझता"
  • हिंदुवाटघाटी का युद्ध - 1299 में अलाउद्दीन खिलजी की सेना उलुग खा एवं नुसरत खा के नेतृत्व में रणथम्भौर दुर्ग पर आक्रमण करती है, जिनका हम्मीर देव चौहान के सेनापतियों भीमसिंह एवं धर्मसिंह का सामना होता है। इस युद्ध में भीमसिंह एवं धर्मसिंह द्वारा नुसरत खा की हत्या कर दी जाती है और धर्मसिंह पुन: रणथम्भौर लौट जाता है, भीमसिंह को अलाउद्दीन की सेना द्वारा मार दिया जाता है।
  • रणथम्भौर का प्रथम साका - हम्मीर देव चौहान ने अल्लाउद्दीन खिलजी की मराठा बेगम (रानी चिमना) व विद्रोही मंगोल सेनापति (महमूद शाह) को शरण दी, जिससे अल्लाउद्दीन खिलजी ने नाराज होकर 1301 ई० में रणथम्भौर पर आक्रमण कर दिया। 11 जुलाई, 1301 ई० में अलाउद्दीन खिलजी (अलाउद्दीन खिलजी की सेना का नेतृत्व उलूग खाँ ने किया) व हम्मीरदेव के मध्य युद्ध हुआ। अलाउद्दीन खिलजी की सेना ने हम्मीर देव चौहान के सेनापति रणमल तथा रतिपाल को लालच देकर अपने पक्ष में कर लिया, जिससे अलाउद्दीन की सेना के लिए दुर्ग के गुप्त रास्ते ढूँढना आसान हो गया और उन्होंने दुर्ग को भेदकर आक्रमण कर दिया, जिसमे हम्मीर देव के नेतृत्व में राजपूत सैनिक लड़ते हुए मारे गये (केसरिया) व इनकी रानी रंग देवी व पुत्री देवल दे के नेतृत्व में राजपूत महिलाओं ने जल जौहर किया। यह राजस्थान का प्रथम जल जौहर व साका था। अल्लाउद्दीन के रणथम्भौर दुर्ग को जीतने के बाद अमीर खुसरों ने इस दुर्ग के बारे में कहा कि "आज कुफ्र का गढ़, इस्लाम का घर हो गया"। 
  • इस युद्ध में अमीर खुसरो अलाउद्दीन की सेना के साथ था, जिसने इस युद्ध का सजीव चित्रण किया।
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आज की इस पोस्ट में रणथम्भौर के चौहान वंश का इतिहास पर लेख लिखा गया है। इसमें आप सभी के प्रश्न हम्मीर देव चौहान की जीवनी, हम्मीर हठ के लेखक, राजा हमीर की कथा, हम्मीर देव चौहान के पुत्र पत्नि पुत्री का नाम, झाईन दुर्ग का युद्ध, रणथम्भौर का प्रथम जल जौहर साका आदि से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी शामिल की गयी है।
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