राजस्थान में ऊर्जा के स्रोत : आज की इस पोस्ट में राजस्थान में ऊर्जा विकास, ऊर्जा विकास के महत्वपूर्ण प्रश्न, राजस्थान में निजी क्षेत्र की विधुत परियोजनाएं, राजस्थान में ऊर्जा नीतियां, ऊर्जा के स्रोत, परम्परागत ऊर्जा स्रोत, गैर परम्परागत ऊर्जा, राजस्थान में जल विधुत परियोजनाएं, ताप विधुत परियोजनाएं, राजस्थान के ऊर्जा संसाधन, गैस आधारित विधुत परियोजनाए, राजस्थान में परमाणु/अनु आधारित विधुत परियोजनाएं PDF पर एक विस्तृत लेख लिखा गया है। आप सभी इसको पूरा जरूर पढ़ें:-
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राजस्थान में ऊर्जा विकास |
राजस्थान में ऊर्जा विकास
राजस्थान में विधुत विकास हेतु 1 जुलाई 1957 को "राजस्थान राज्य विद्युत मण्डल" की स्थापना की गई। राजस्थान में 2 जनवरी 2000 को राजस्थान विद्युत नियामक आयोग (Rajasthan Electricity Regulatory Commission) का गठन किया गया। इसके प्रथम अध्यक्ष श्री अरुण कुमार थे। 19 जुलाई 2000 को राजस्थान विद्युत मंडल को 5 कंपनियों में विभाजित कर दिया गया। जिनके नाम निम्न प्रकार है:-
- राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड(RVUNL), जयपुर
- राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड(RVPNL), जयपुर
- जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड(JVVNL), जयपुर - यह राजस्थान के 12 जिलों जयपुर, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, दौसा, टोंक, कोटा, बूंदी, बांरा, झालावाड में विधुत वितरण का कार्य करता है।
- अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड(AVVNL), अजमेर - यह राजस्थान के 11 जिलों उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ, चितौडगढ़, भीलवाडा, राजभमंद, अजमेर, नागौर (लाडनू पंचायत समिति के अलावा), सीकर, झुंझुनूं में विधुत वितरण का कार्य करता है।
- जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड(JVVNL), जोधपुर - यह राजस्थान के 10 जिलों गंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जालौर, सिरोही, पाली, जोधपुर, लाडतू (नागौर) , चूरू, हनुमानगढ में विधुत वितरण का कार्य करता है।
राजस्थान में ऊर्जा विकास के तथ्य
- राजस्थान देश का ऐसा पहला राज्य है, जिसने एक ही चरण में विधुत के क्षेत्र में सुधार को अपनाया है।
- सुपर क्रिटिकल पावर स्टेशन - वे बिजलीघर जिनमे एक इकाई में 500 मेगावाट से अधिक विधुत का उत्पादन होता है, उन्हें सुपर क्रिटिकल बिजलीघर कहते है। इसके अंतर्गत छबड़ा (बारां), सूरतगढ़ (गंगानगर), बांसवाड़ा, कालीसिंध (झालावाड़ - प्रस्तावित) आदि सुपर क्रिटिकल ताप विधुत गृह के अंतर्गत आते है।
- राजीव गाँधी ग्रामीण विधुतीकरण योजना - केंद्र सरकार द्वारा सभी घरों में बिजली उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अप्रैल 2005 में इस योजना का शुभारम्भ किया गया।
- दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना - इस योजना का शुभारम्भ 3 दिसंबर, 2014 को ग्रामीण क्षेत्रों में विधुत वितरण प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के उद्देश्य से किया गया। इसमें केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के अनुदान का अनुपात 60:40 है। राजीव गाँधी ग्रामीण विधुतीकरण योजना के तहत संचालित कार्यों को इसमें समाहित कर दिया गया।
- एलईडी और ऊर्जा सरंक्षण मिशन : एलईडी और ऊर्जा सरंक्षण मिशन का शुभारम्भ 8 जनवरी, 2015 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया।
- राजस्थान में पहली बार सौर ऊर्जा नीति 2011 में घोषित हुई।
- राजस्थान में दूसरी बार सौर ऊर्जा नीति 8 अक्टूबर, 2014 को घोषित हुई।
- देश व राजस्थान में लिग्नाइट पर आधारित प्रथम भूमिगत विद्युत संयंत्र मेड़ता सिटी (नागौर) में है।
- राजस्थान का प्रथम सौर बिजली घर खींवसर (नागौर) में है।
- "उदय योजना" का उद्देश्य विद्युत वितरण कंपनियों को वित्तीय स्थिरता देना है।
- भारत का प्रथम सौर ऊर्जा चलित फ्रिज 'बालेसर' जोधपुर में है।
- देश का प्रथम कोयला आधारित बिजली घर 'बाप' जोधपुर में है।
- राजस्थान में प्रथम सौर ऊर्जा आधारित 140 मेगावाट क्षमता का विधुत संयंत्र मथानियां गांव (जोधपुर) में है।
- राजस्थान में तीसरी पवन ऊर्जा संयंत्र फलौदी गांव (जोधपुर) में है।
- राजस्थान का प्रथम सरसों की खाल पर आधारित बिजलीघर खेड़ली गांव (अलवर) में है।
- देश एवं राजस्थान में लिग्नाइट पर आधारित प्रथम भूमिगत विद्युत संयंत्र मेड़ता सिटी (नागौर) में है।
- राजस्थान का प्रथम सौर बिजलीघर खींवसर (नागौर) में है।
- राजस्थान में सर्वाधिक बायोमास संयंत्र उदयपुर जिले में है।
- राजस्थान में सौर ऊर्जा चलित प्रथम नाव पिछोला झील में चलाई गयी।
- राजस्थान में सर्वाधिक पवन ऊर्जा संयंत्र जैसलमेर जिले में स्थापित किये गए है।
- राजस्थान में निजी क्षेत्र की प्रथम पवन ऊर्जा परियोजना - बाड़ा गांव (जैसलमेर) में है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वाधिक बायोगैस की सम्भावना है, क्योंकि बायोगैस का उत्तम स्रोत घरेलू मवेशी है।
राजस्थान में निजी क्षेत्र की विधुत परियोजनाएं
- बांसवाड़ा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर परियोजना - इसमें जलापूर्ति माही बांध से होती है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 3920 करोड़ रूपये है।
- गुढा (पश्चिम), थर्मल पाॅवर प्रोजेक्ट, बीकानेर - यह निजी क्षेत्र की लिग्नाइट आधारित प्रथम विद्युत परियोजना है। यहां आन्ध्रप्रदेश की मरूधरा कम्पनी द्वारा प्रोजेक्ट लगाया गया।
- गिरल ताप विद्युत परियोजना, बाड़मेर - यह राजस्थान का पहला लिग्नाइट आधारित विद्युत गृह है। इसकी स्थापना जर्मनी की KFL Company के सहयोग से थुंबली गांव (शिव तहसील-बाड़मेर) में जनवरी 2007 में की गई। इस परियोजना का वसुंधरा राजे सिंधिया के द्वारा उदघाटन किया गया।
- केशोरायपाटन गैस आधारित विधुत संयंत्र, बूंदी - इसकी क्षमता 1000 मेगावाट है।
- कवई ऊर्जा परियोजना, बारां - इसकी क्षमता 1200 मेगावाट है।
- नैवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन ने पलाना-हाड़ला एवं बीथनोंक नामक दो स्थानों पर बीकानेर में निजी क्षेत्र की विधुत परियोजनाएं स्थापित की।
राजस्थान में विभिन्न ऊर्जा नीतियां
- राजस्थान सौर ऊर्जा नीति 2014 - यह 8 अक्टूबर, 2014 को शुरू की गयी।
- सौर ऊर्जा नीति 2011 - यह सौर ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 19 अप्रैल, 2011 को लागू की गयी।
- बायोमास पॉलिसी 2010 - यह पॉलिसी 26 फरवरी, 2010 को जारी की गयी।
- नई पवन ऊर्जा नीति 2012 - यह नीति 18 जुलाई, 2012 को लागु की गयी। 17 जून, 2014 को इसमें संशोधन किया गया।
- कैप्टिव पॉवर प्लांट नीति - यह 15 जुलाई, 1999 को जारी की गयी।
- गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोतों से ऊर्जा उत्पादन नीति 2004 - यह नीति 25 अक्टूबर, 2004 को जारी की गयी।
ऊर्जा के स्रोत
ऊर्जा के मुख्य रूप से 2 स्रोत होते है, जिनके नाम निम्न प्रकार है :-
- परम्परागत ऊर्जा स्रोत - इसके अंतर्गत जल विधुत, तापीय विधुत तथा आणविक विधुत आते है।
- गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोत - इसके अंतर्गत सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोगैस, बायोमास, ज्वारीय तरंग ऊर्जा तथा भू-तापीय ऊर्जा आते है।
राजस्थान में जल विधुत परियोजनाएँ
माही बजाज परियोजना -
इस परियोजना को वर्ष 1971 में स्वीकृति मिली तथा 1983 में इसका शुभारम्भ इंदिरा गाँधी द्वारा किया गया। यह परियोजना राजस्थान राज्य (45% जल ) तथा गुजरात राज्य (55% जल) दोनों की सयुंक्त परियोजना है। इस परियोजना की कुल विधुत उत्पादन क्षमता 140 मेगावाट है। इस परियोजना में बनने वाली सम्पूर्ण ऊर्जा (100 %) राजस्थान को मिलती है। यह परियोजना माही नदी पर संचालित है। इस परियोजना से राजस्थान के बांसवाड़ा जिले को सर्वाधिक लाभ मिलता है।
चम्बल नदी घाटी परियोजना -
यह परियोजना राजस्थान (50%) एवं मध्यप्रदेश (50%) की सयुंक्त परियोजना है। इसकी कुल विधुत उत्पादन क्षमता 386 मेगावाट है, जिसमे से 50% यानि की 193 मेगावाट राजस्थान को एवं इतनी ही मध्यप्रदेश को विधुत मिलती है। इस परियोजना के तहत माही नदी पर तीन बांध बनाकर ऊर्जा उत्पादन की जाती है, जो निम्न प्रकार है:-- गांधीसागर बांध (मध्यप्रदेश में) - इससे 115 मेगावाट विधुत उत्पादन होता है।
- राणा प्रताप सागर बांध (चित्तौड़गढ़) - इससे 172 मेगावाट विधुत का उत्पादन होता है।
- जवाहर सागर बांध (कोटा) - इससे 99 मेगावाट ऊर्जा उत्पादन होता है।
भाखड़ा नांगल परियोजना -
यह परियोजना राजस्थान, पंजाब एवं हरियाणा राज्यों की सयुंक्त परियोजना है। इसकी कुल विधुत उत्पादन क्षमता 1493 मेगावाट है। इसमें से राजस्थान को 15.22% यानि की 227.3 मेगावाट ऊर्जा प्राप्त होती है।इस परियोजना से राजस्थान का हनुमानगढ़ जिला लाभान्वित होता है।
व्यास परियोजना -
यह परियोजना राजस्थान, पंजाब एवं हरियाणा की सयुंक्त परियोजना है। इसमें दो विधुत गृह (देहर एवं पोंग) स्थापित कर विधुत उत्पादन किया जाता है। इस परियोजना से राजस्थान को कुल विधुत 422.64 मेगावाट प्राप्त होती है, जिनमे देहर से उत्पादित कुल विधुत 990 मेगावाट का 20% यानि की 198 मेगावाट तथा पोंग से उत्पादित कुल विधुत 384 मेगावाट का 58.5% यानि की 224.64 मेगावाट विधुत प्राप्त होती है।
टिहरी परियोजना -
यह राजस्थान, उत्तराखंड एवं उत्तरप्रदेश की सयुंक्त परियोजना है। इस परियोजना से कुल 2400 मेगावाट ऊर्जा का उत्पादन होता है।
कोल बांध जल विधुत परियोजना -
यह राजस्थान एवं हिमाचल प्रदेश की सयुंक्त परियोजना है। इस परियोजना से कुल 800 मेगावाट विधुत उत्पादित होती है।
राजस्थान में ताप विधुत परियोजनाएं
- सूरतगढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन - यह राजस्थान का प्रथम सुपर थर्मल पावर प्लांट एवं सबसे बड़ा तरल ईंधन/लिग्नाइट आधारित बिजली घर है। जोकि श्री गंगानगर जिले के सूरतगढ़ के ठुकराना गांव में स्थित है। इसे राजस्थान का आधुनिक तीर्थ स्थल भी कहा जाता है। इस परियोजना की कुल विधुत उत्पादन क्षमता 1500 मेगावाट (6x250) है।
- सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल ताप विद्युत परियोजना इकाई 7 एवं 8 - इसकी कुल विधुत उत्पादन क्षमता 1320 मेगावाट (2x660) है। इसका शिलान्यास 20 जून, 2013 को किया गया।
- सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल ताप विद्युत परियोजना इकाई 9 एवं 10 - इसकी कुल विधुत उत्पादन क्षमता 1320 मेगावाट (2x660) है। यह 13 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत शुरू की गयी।
- कोटा सुपर थर्मल पावर संयंत्र - इसकी स्थापना 1978 ईस्वी में कोटा जिले में की गई थी। यह राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा बिजली घर व सुपर थर्मल पावर प्लांट है। यह संयंत्र कोयले पर आधारित है। इसकी क्षमता 1240 मेगावाट है। कोटा थर्मल पावर संयंत्र का प्रारंभ 1983 ईस्वी में राजस्थान के प्रथम कोयला प्रज्वलित पावर प्लांट के रूप में की गई थी।
- छबड़ा सुपर तापीय विधुत परियोजना, बारां - यह राजस्थान का तीसरा सुपर थर्मल पॉवर प्रोजेक्ट है। इसके प्रथम एवं द्वितीय चरण की चारों इकाइयों की कुल विधुत उत्पादन क्षमता 1000 मेगावाट (4x250) है। यह परियोजना मोतीपुरा चौकी गांव (छबड़ा - बारां) में स्थित है। अन्य इकाइयों 5 एवं 6 की विधुत उत्पादन क्षमता 1320 मेगावाट (2x660) है।
- कालीसिंध तापीय विधुत परियोजना, झालावाड़ - इसकी प्रथम दो इकाइयों (1 व 2) की विधुत उत्पादन क्षमता 1200 मेगावाट (2x600) तथा अन्य दो इकाइयों (3 व 4) की विधुत उत्पादन क्षमता 1320 मेगावाट (2x660) है।
- गिरल ताप विद्युत परियोजना, बाड़मेर - यह राजस्थान का पहला लिग्नाइट आधारित विद्युत गृह है। इसकी स्थापना जर्मनी की KFL Company के सहयोग से थुंबली गांव (शिव तहसील-बाड़मेर) में जनवरी 2007 में की गई। इस परियोजना का वसुंधरा राजे सिंधिया के द्वारा उदघाटन किया गया। इस परियोजना की कुल विधुत उत्पादन क्षमता 250 मेगावाट (2x250) है।
- बरसिंहसर थर्मल पॉवर परियोजना - इसकी कुल विधुत उत्पादन क्षमता 250 मेगावाट (2x125) है। इसका लोकार्पण 5 जून, 2010 को किया गया।
- भादेसर लिग्नाइट आधारित सुपर थर्मल पॉवर परियोजना - भादेसर (बाड़मेर) में स्थित इस परियोजना की कुल विधुत उत्पादन क्षमता 1080 मेगावाट (8x135) है। इस परियोजना को कपूरड़ी-जालीपा परियोजना के नाम से भी जाना जाता है।
राजस्थान में गैस आधारित परियोजनाएं
- रामगढ़ गैस परियोजना, रामगढ़ (जैसलमेर) - यह राजस्थान की प्राकृतिक गैस आधारित प्रथम परियोजना है। इस परियोजना की स्थापित विधुत उत्पादन क्षमता 273.5 मेगावाट है। इसके चार चरणों से कुल विधुत 433.5 मेगावाट उत्पादित होती है।
- अंता गैस विधुत परियोजना, बारां - इसकी कुल विधुत उत्पादन क्षमता 419.33 मेगावाट है। यह राजस्थान की गैस आधारित पहली परियोजना है।
- कोटा गैस परियोजना, कोटा - इसकी विधुत उत्पादन क्षमता 330 मेगावाट (3x110) है।
- छबड़ा गैस परियोजना, बारां - इसकी विधुत उत्पादन क्षमता 330 मेगावाट (3x110) है।
- धौलपुर गैस परियोजना, धौलपुर - इसकी विधुत उत्पादन क्षमता 330 मेगावाट (3x110) है।
- धौलपुर गैस आधारित कम्बाइंड साइकिल तापीय प्लांट - इसकी विधुत उत्पादन क्षमता 330 मेगावाट (3x110) है। यह राजस्थान की दूसरी गैस आधारित विधुत परियोजना है।
- झामर कोटड़ा परियोजना - इसकी विधुत उत्पादन क्षमता 4 मेगावाट है।
राजस्थान में परमाणु ऊर्जा परियोजना
राजस्थान परमाणु शक्ति संयंत्र - इसकी स्थापना 16 दिसंबर, 1973 में रावतभाटा (चित्तौड़गढ़) में कनाडा के सहयोग से की गयी थी। यह नाभिकीय ऊर्जा निगम द्वारा संचालित है। यह राजस्थान का प्रथम एवं देश का दूसरा परमाणु शक्ति संयत्र (प्रथम - तारापुर, महाराष्ट्र) है। इसकी क्षमता 1180 मेगावाट की है। यह परियोजना यूरेनियम 235 या नाभिकीय ऊर्जा पर आधारित है। यह देश का अत्यधिक दाबित भारी पानी किस्म के रिएक्टर की श्रृंखला में प्रथम बिजलीघर है। इसका राज्य की कुल विधुत उत्पादन में 30% योगदान है।
राजस्थान में बायोमास आधारित परियोजनाएं
- पदमपुर बायोमास ऊर्जा संयंत्र - श्री गंगानगर में।
- खातोली बायोमास ऊर्जा संयंत्र - टोंक में।
- रंगपुर-लाडपुरा बायोमास ऊर्जा संयंत्र - कोटा में।
- कोटपूतली बायोमास ऊर्जा संयंत्र - जयपुर में।
- चंदेरिया बायोमास ऊर्जा संयंत्र - चित्तौड़गढ़ में।
- पचार बायोमास ऊर्जा संयंत्र - छीपाबड़ौद में।
- संगरिया बायोमास ऊर्जा संयंत्र - हनुमानगढ़ में।
- रामपुर बायोमास ऊर्जा संयंत्र - सिरोही में।
- कचेला बायोमास ऊर्जा संयंत्र - बागसरी सांचोर (जालोर) में।
- पुँजियावास बायोमास ऊर्जा संयंत्र - मेड़ता (नागौर) में।
- भंवरगढ़ बायोमास ऊर्जा संयंत्र - किशनगंज (बारां) में।
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