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चूरू जिले की सम्पूर्ण जानकारी | Churu District GK in Hindi | चूरू जिला Rajasthan GK in Hindi

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यदि आप सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हो और आप पढ़ना चाहते हो "Rajasthan GK/Rajasthan GK in Hindi/Churu District GK in Hindi/Churu GK/Churu jila/Rajasthan jila Darshan" तो आप राजस्थान सामान्य ज्ञान की इस पोस्ट को पूरा जरूर पढ़ें। इसमें आपको 'राजस्थान जिला दर्शन' की श्रृंखला में राजस्थान का "चूरू जिला दर्शन" को कवर करेंगे। तो आज की यह पोस्ट इस प्रकार है:-

राजस्थान जिला दर्शन: 'चूरू जिला दर्शन'

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Churu GK : Churu Jila Darshan
काले हिरणों के अभयारण्य (ताल छापर वन्य जीव अभयारण्य) के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध राजस्थान का चूरू जिला अपने हवेलियों के लिए भी प्रसिद्ध रहा है। यहां की 6 मंजिली सुराणा हवेली (जिसमें 110 दरवाजे -खिड़कियां हैं), ढोला मारु के चित्र, कोठारी हवेली आदि प्रसिद्ध है। राजस्थान का चूरू जिला राज्य में सबसे कम वन क्षेत्र वाला जिला है। इस जिले से कोई भी नदी प्रवाहित नहीं होती है। 



    चुरू जिले का सामान्य परिचय | Churu Ki Jankari Hindi Me

    • चुरू जिले का क्षेत्रफल : 16830 वर्ग किलोमीटर। 
    • चूरू जिला राजस्थान का सर्वाधिक तापांतर वाला जिला है। 
    • चूरू जिले की स्थापना चूहड़ा जाट ने 1620 ईस्वी में की थी। 
    • चूरू जिला वर्तमान में राजस्थान के बीकानेर संभाग में आता है। 
    • 1 नवंबर 1956 को राजस्थान के एकीकरण पूर्ण होने के तहत चूरू को जिले का दर्जा प्राप्त हुआ था। 

    चुरू जिले की मानचित्र में स्थिति | स्थिति एवं विस्तार


    ✍अक्षांशीय स्थिति : 27 डिग्री 24 मिनट उत्तरी अक्षांश से 29 डिग्री उत्तरी अक्षांश तक। 

    ✍देशांतरीय स्थिति : 73 डिग्री 44 मिनट पूर्वी देशांतर से 75 डिग्री 41 मिनट पूर्वी देशांतर तक। 

    चुरू जिले में विधानसभा क्षेत्र | Churu के VidhanSabha क्षेत्र 


    चुरू जिले में कुल 6 विधानसभा क्षेत्र हैं जिनके नाम निम्नानुसार है :-
    • सादुलपुर 
    • तारानगर 
    • चूरू 
    • सरदारशहर 
    • रतनगढ़ 
    • सुजानगढ़

    2011 की जनगणना के अनुसार चूरू जिले की जनसंख्या/घनत्व/लिंगानुपात/साक्षरता के आंकड़े


    • चूरू की कुल जनसंख्या:  20,39,547
    • चूरु का लिंगानुपात : 940 
    • चूरू में जनसंख्या घनत्व : 147 
    • चूरू की साक्षरता दर : 66.8% 
    • चूरू की पुरुष साक्षरता दर : 78.8% 
    • चूरू की महिला साक्षरता दर : 54%

    चूरू के प्रमुख मेले और त्योहार | Churu Jile Ke Mele



     मेला 
    स्थान  
    दिन  
     भभूता सिद्ध का मेला 
    चंगोई (तारानगर) 
    भादवा सुदी सप्तमी  
     गोगा मेला 
     ददरेवा 
    भाद्रपद कृष्णा नवमी (गोगानवमी) 
     सालासर बालाजी का मेला 
    सालासर (सुजानगढ़) 
    चैत्र व कार्तिक पूर्णिमा  



    चूरू के प्रमुख मंदिर | चूरु के शीर्ष मंदिर


    ✍ सालासर बालाजी का मंदिर ➡️

    इस मंदिर की स्थापना 1754 ईस्वी में महात्मा श्री मोहनदास जी ने की थी।आसोटा गांव में महात्मा श्री मोहनदास जी को हल चलाते समय दाढ़ी-मूंछ युक्त हनुमान जी की मूर्ति मिली फिर उन्होंने सुजानगढ़ तहसील के सालासर गांव में सालासर बालाजी का मंदिर बनवाया था। यहां पर आश्विन एवं चैत्र की पूर्णिमा को प्रतिवर्ष मेला भरता है। यह मंदिर दाढ़ी-मूंछ युक्त हनुमानजी का देश में पहला मंदिर है। इस मंदिर के बीच में जाल का पेड़ हैं, जिस पर भक्त अपनी कामना पूर्ति के लिए नारियल और धजा बांधते हैं। 

    ✍ शीर्षमेडी, ददरेवा ➡️
    मुस्लिम लुटेरों (महमूद गजनबी) से युद्ध (गौरक्षार्थ) के दौरान गोगाजी का सिर ददरेवा (चूरू) में गिरा था। लोक देवता गोगाजी का जन्म स्थल ददरेवा (चूरू) में है। गोगानवमी को गोगाजी के भक्तों द्वारा गोगाजी के राखी चढ़ाई जाती है। ददरेवा में गोगाजी की शीर्षमेड़ी/सिद्धमेडी है। गोगाजी को गौरक्षक देवता/साँपों का देवता/नागराज (हिंदू)/गोगापीर (मुस्लिम)/जाहरपीर(महमूद गजनबी द्वारा) आदि नामों से पुकारा जाता है। गोगाजी के पिता - जेवर, माता - बाछल, पत्नी - केमलदे/रानी धीमल, गुरु - गोरखनाथ, पुत्र- केशरियाजी, गोगाजी की सवारी - नीली घोड़ी। गोगाजी की नीली घोड़ी को "गोगा बाप्पा" कहते है। प्रत्येक किसान खेत की जुताई शुरू करते समय हल व हाली के "गोगा राखडी" बांधते है, जिसमें नौ गांठे होती है। 

    ✍ वैंकटेश्वर/तिरुपति बालाजी सुजानगढ़ ➡️
    इसका निर्माण वेंकटेश्वर फाउंडेशन ट्रस्ट के सोहनलाल जानोदिया ने 1994 में सुजानगढ़ में भगवान वेंकटेश्वर तिरुपति बालाजी के मंदिर का निर्माण करवाया था। यह मंदिर डॉक्टर एम नागराज एवं डॉक्टर वैकटाचार्य  वास्तुविद की देखरेख में ग्रेनाइट, इटालियन मार्बल एवं मकराना मार्बल से लगभग 10000 वर्ग फीट क्षेत्र में बनवाया गया था। यह मंदिर लगभग 75 फीट ऊंचा है। 

    चूरू के दर्शनीय स्थल | चूरू के पर्यटन स्थल

    ✍ चूरू का किला ➡️
    इस किले का निर्माण 1739 ईस्वी में ठाकुर कुशाल सिंह द्वारा करवाया गया था। यहां के ठाकुरों ने अपनी रक्षा हेतु शत्रुओं पर गोला और बारूद खत्म हो जाने पर चांदी के गोले बनाकर दुश्मनों पर दागे थे। इसलिए चांदी के गोले दागने वाला किला - चूरू का किला है। 

    ✍ बीनादेसर का किला ➡️
    इस किले का निर्माण 1757 ईस्वी में ठाकुर दुल्लेसिंह (बीकानेर के राजा गंगासिंह के दीवान) द्वारा करवाया गया। 

    ✍ ताल छापर वन्यजीव अभयारण्य ➡️
    इसका प्राचीन नाम द्रोणपुर (वर्तमान सुजानगढ़) था। यह अभ्यारण्य काले हिरण एवं कुरंजा पक्षी (स्थानीय नाम खिंचन) की शरण स्थली है।  वर्षा ऋतु में यहां नरम घास "मोथिया'' एवं "मोचिया सायप्रस रोटेन्डस" उगती है। 

    ✍ साहवा गुरुद्वारा ➡️
    साहवा गुरुद्वारा का सम्बन्ध गुरुनानकदेव व गुरु गोविन्द सिंह जी से रहा है। कार्तिक मास की पूर्णिमा को यहां पर विशाल मेला लगता है। 

    चूरू के अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न/तथ्य | Churu GK in Hindi


    • राज्य का प्रथम सहकारी क्षेत्र का महिला मिनी बैंक - सालासर (चूरू) में  स्थित है। 
    • सर्वाधिक गर्म जिला एवं स्थान - चूरू। 
    • संवत्सर-कोटसर सबसे बड़ा आखेट निषिद्ध क्षेत्र, चूरू में स्थित है। 
    • सर्वाधिक तापांतर वाला जिला चूरू है। 
    • राज्य का सबसे कम वन क्षेत्र वाला जिला - चूरू है। 
    • नगर श्री लोक संस्कृति शोध संस्थान (1964 में सुबोध कुमार अग्रवाल द्वारा) चूरू में स्थापित। 
    • सर्दियों में सर्वाधिक ठंडा एवं गर्मियों में सर्वाधिक गर्म जिला - चूरू। 
    • सर्वाधिक वार्षिक तापांतर वाला जिला - चूरू। 
    • तालछापर बांध चूरू में स्थित है। 
    • चन्दन की मूर्तियों के काम के लिए चूरू प्रसिद्ध है। 
    • अलखिया सम्प्रदाय -  इस सम्प्रदाय के संस्थापक स्वामी लालगिरि थे। जिनका जन्म चूरू में हुआ तथा इनकी प्रधान पीठ बीकानेर जिले में है।
    •  चूरू की प्रमुख हवेलियाँ : सुरानों के हवामहल (हवेली), मंत्रियों की मोती हवेली, रामविलास गोयनका की हवेली, दानचन्द चौपड़ा की हवेली (सुजानगढ़) . 
    • बीघाजी स्मारक , सुजानगढ़ (चूरू) में स्थित है। 
    • सिक्खों का सबसे बड़ा मेला - साहवा चूरू में कार्तिक पूर्णिमा को भरता है। 
    • नौहर साहवा लिफ्ट नहर - इंदिरा गाँधी नहर की नौहर साहवा लिफ्ट नहर चूरू जिले को सिंचाई हेतु जल उपलब्ध करवाती है। 
    • राजीव गाँधी सिद्धमुख नौहर परियोजना : चूरू जिले के राजगढ़/सार्दुलपुर/तारानगर को इस लिफ्ट से जल आपूर्ति की जाती है। 
    • गन्धेली साहबा लिफ्ट नहर : यह लिफ्ट नहर श्रीगंगानगर से चूरू तक आती है। इसका नया नाम चौधरी कुम्भाराम लिफ्ट नहर रखा गया है। 
    • मंशा देवी - चूरू क्षेत्र की लोक देवी है। 
    • द्रोणपुर - द्रोणाचार्य की आश्रम स्थली, गोपालपुर। 
    • उत्तराभिमुख सिंधी मंदिर - सुजानगढ़ में स्थित यह मंदिर कांच की जड़ाई एवं स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। 
    • प्रसिद्ध उद्योगपति लक्ष्मीनिवास मित्तल सुजानगढ़ (चूरू) के निवासी है। 
    यह भी पढ़ें :-
    आज के इस पोस्ट में हमने "राजस्थान के जिला दर्शन" की श्रृंखला में "चूरू जिला दर्शन" को पूरी तरह से कवर करने की पूरी कोशिश की हैं। इसमें चूरू का सामान्य परिचय, चूरू के उपनाम, 2011 की जनगणना के अनुसार चूरू जिले की जनसँख्या/साक्षरता/घनत्व/लिंगानुपात, चूरू का क्षेत्रफल, चूरू की मानचित्र में स्थिति, चूरू में विधानसभा क्षेत्र, चूरू के मेले, चूरू के प्रमुख मंदिर, चूरू के पर्यटन स्थल एवं इसके अलावा जितने भी अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न बन सकते थे, उन सभी को शामिल कर पेश किया गया है। मैं उम्मीद करती हूँ कि आप सभी पाठकों को मेरी यह पोस्ट पसंद आयी होगी। आप सभी को यह पोस्ट कैसी लगी आप मुझे कमेंट करके जरूर बताएं। 
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