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प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत
भारतीय सभ्यता विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। भारतवर्ष को प्राचीन काल से अनेक नामों से जाना जाता रहा है। भारतवर्ष को महाकाव्य तथा पुराणों में भारत वर्ष अर्थात भरत का देश कहा गया। तथा यहां की संतान को भारतीय अर्थात भरत की संतान कहा गया। यूनानीयो ने भारत को इंडिया कहा तो मध्यकालीन मुस्लिम इतिहासकारों ने हिंद अथवा हिंदुस्तान कहा। प्राचीन भारतीय इतिहास की जानकारी मुख्यतः निम्न चार स्रोतों से प्राप्त होती है:-
- धर्म ग्रंथ
- ऐतिहासिक ग्रंथ
- विदेशी यात्रियों का विवरण
- पुरातत्व संबंधी साक्ष्य
धर्म ग्रंथ एवं ऐतिहासिक ग्रंथ से मिलने वाली महत्वपूर्ण जानकारी
भारत का सर्वप्राचीन धर्म ग्रंथ वेद है, वेद की रचना वेदव्यास ने की थी। वेद चार प्रकार के होते हैं यथा- ऋग्वेद ,यजुर्वेद, सामवेद एवं अथर्ववेद। इन चारों वेदों को संहिता का जाता है।
ऋग्वेद एवं इससे संबंधित प्रश्नोत्तर
ऋचाओं के क्रमबद्ध ज्ञान के संग्रह को ऋग्वेद कहा जाता है। ऋग्वेद चारों वेदों में सर्वाधिक प्राचीन वेद है। इसमें 10 मंडल 8 अष्टक 10600 मंत्र 1028 सुक्त 10462 ऋचाऐं है।
- इस वेद के ऋचाओं को पढ़ने वाले ऋषि को होतृ कहते हैं
- ऋग्वेद का दूसरा एवं सातवां मंडल सर्वाधिक प्राचीन तथा पहला एवं दसवां मंडल सबसे बाद का है।
- विश्वामित्र द्वारा रचित ऋग्वेद के तीसरे मंडल में सूर्य देवता सावित्री को समर्पित गायत्री मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है।
- ऋग्वेद के 9वें मंडल में देवता सोम का उल्लेख है।
- ऋग्वेद के दसवें मंडल के पुरुष सूक्त में सर्वप्रथम वर्ण व्यवस्था का उल्लेख मिलता है। जिसके अनुसार चार वर्ण (ब्राह्मण ,क्षत्रिय , वैश्य तथा शूद्र )आदि पुरुष ब्रह्मा के क्रमशः मुख, भुजाओं, जंघाओ तथा चरणों से उत्पन्न हुए।
- ऋग्वेद में इंद्र के लिए 250 तथा अग्नि के लिए 200 ऋचाओं की रचना की गई।
यजुर्वेद एवं इससे संबंधित प्रश्नोत्तर
- यजुर्वेद एकमात्र ऐसा देश है जो गद्य एवं पद्य दोनों भाषाओं में लिखा गया है।
- यजुर्वेद के 2 भाग होते हैं - कृष्ण यजुर्वेद और शुक्ल यजुर्वेद।
अथर्ववेद एवं इससे संबंधित प्रश्नोत्तर
- इस वेद में सामान्य मनुष्यों के विचारों तथा अंधविश्वासों का विवरण मिलता है।
- अथर्ववेद में 20 मंडल, 731 ऋचाऐं ,5987 मंत्र है।
- सबसे बाद का वेद अथर्ववेद है।
- अथर्ववेद में परीक्षित को कुरुओं का राजा कहा गया है।
सामवेद एवं इससे संबंधित प्रश्न-उत्तर
- इसे भारतीय संगीत का जनक कहा जाता है।
- इसमें कुल 1549 ऋचाऐं है।
- इसमें गाए जा सकने वाली ऋचाऐं का संकलन है।
- इसमें मुख्यतः सूर्य की स्तुति का मंत्र है।
- इस वेद की मुख्यतः तीन शाखाएं है जैमिनीय, रामायणनीय तथा कोथूम।
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
पुराण:- पुराणों की कुल संख्या 18 है। पुराणों में मत्स्य पुराण सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक है।
•पुराणों के रचयिता लोमहर्ष अथवा उनके पुत्र उग्रश्रवा को माना जाता है।
वेदांग:- वेदों को भली-भांति समझने के लिए 6 वेद अंगों की रचना की गई है। जो निम्न प्रकार है शिक्षा ज्योतिष कल्प व्याकरण निरुक्त तथा छंद।
अर्थशास्त्र के लेखक चाणक्य कौटिल्य विष्णुगुप्त है यह 15 अधिकरण एवं 180 प्रकरणों में विभाजित है। इससे मौर्यकालीन इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है।
रामायण :- रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि द्वारा संस्कृत भाषा में की गई। प्रारंभ में इसमें 6000 श्लोक थे जो कालांतर में 24000 हो गए। इसे चतुर विंसटी शास्त्री संहिता भी कहते हैं।
महाभारत :- महाभारत की रचना चौथी शताब्दी में महर्षि वेदव्यास द्वारा की गई थी। प्रारंभ में इसमें 8800 सालों के जिसे जय संहिता कहा जाता था तत्पश्चात इसमें 24000 श्लोक हो गए हैं इसे भारत कहा जाने लगा। कालांतर में इसमें 100000 श्लोक हो जाने से इसे महाभारत अथवा सत्य शास्त्री संहिता कहा जाने लगा।
आज की इस पोस्ट में इतना ही। यह पोस्ट भारतीय सामान्य ज्ञान के टॉपिक प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत से सम्बंधित प्रश्नोत्तर शामिल किये है। यदि आप दोस्तों को हमारी यह पोस्ट अच्छी लगे तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करे। यदि आपको इससे सम्बंधित और कुछ पूछना है तो कमेंट बॉक्स में कमेंट जरूर करें।
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